ब्रह्मलीन महर्षि महेश योगी जी की पावन प्रेरणा से 'भारत उत्कर्ष महायज्ञ' प्रत्येक भारतवासी की समृद्धि एवं भारतवर्ष की उन्नति हेतु आयोजित किया जा रहा है। महर्षि संस्थान के अध्यक्ष श्री अजय प्रकाश जी एवं महर्षि महेश योगी जी के परम शिष्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य प्रेमेश्वर पीठाधीश्वर स्वामी श्री सतीशाचार्य जी के पावन निर्देशन में आयोजित यह महायज्ञ अनंत पुण्य की कामना प्राप्त करने वाले धर्मप्रेमी जनो को सादर आमंत्रित करता है। आप भौतिक रूप से अथवा आध्यात्मिक रूप से online अपनी आहुति अर्पित कर धर्मलाभ की प्राप्ति कर भारतवर्ष की समृद्धि तथा आत्मकल्याण की प्रार्थना यज्ञ नारायण भगवान् से कर सकते हैं।
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A1. वैदिक शास्त्र महायज्ञ को श्रेष्ठतम अनुष्ठानों में गिनते हैं, जो पितरों, समाज और सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण हेतु सम्पन्न किया जाता है। इसमें वैदिक मंत्रों के उच्चारण और आहुति के माध्यम से सार्वभौमिक शांति एवं समृद्धि की कामना की जाती है।
A2. महायज्ञ का सार केवल अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निहित निःस्वार्थ सेवा ही इसका मूल है। जब भगवान श्रीकृष्ण यज्ञ और सेवा से प्रसन्न होते हैं, तब पितरों सहित समस्त प्राणी स्वतः संतुष्ट हो जाते हैं।
A3. महायज्ञ में श्रद्धा और भक्ति से आहुति अर्पित करने पर भगवान यज्ञेश्वर श्रीकृष्ण भक्त की प्रार्थना स्वीकार करते हैं और उन्हें शांति, समृद्धि तथा आध्यात्मिक बल का वरदान देते हैं। इससे पितरों का सम्मान होता है, परिवार सुरक्षित होता है और समाज को दिव्य उत्थान प्राप्त होता है।
A4. भारत उत्कर्ष महायज्ञ का आयोजन समस्त सनातन धर्मावलम्बियों को एक सूत्र में पिरोने और सम्पूर्ण भारत वर्ष की उन्नति हेतु किया जा रहा है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय उत्थान भी है।
A5. भारत उत्कर्ष महायज्ञ आपके लिए एक दिव्य अवसर है। इसमें आपकी सहभागिता न केवल आपके व्यक्तिगत जीवन को आध्यात्मिक और सकारात्मक दिशा प्रदान करती है, बल्कि राष्ट्र की उन्नति और समाज के कल्याण का भी साधन बनती है।
वैदिक शास्त्र महायज्ञ की महिमा का गुणगान करते हैं, इसे श्रेष्ठतम अनुष्ठानों में से एक बताते हैं, जो पितरों, समाज और सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए सम्पन्न किया जाता है
इस पावन यज्ञ के दौरान भक्तजन वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं, आहुति अर्पित करते हैं और सार्वभौमिक शांति एवं समृद्धि हेतु अपनी सेवाएँ समर्पित करते हैं
महायज्ञ का सार केवल अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि निःस्वार्थ सेवा में निहित है
शास्त्र बताते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण यज्ञ और सेवा से प्रसन्न होते हैं, तब पितरों सहित समस्त प्राणी
स्वतः संतुष्ट हो जाते हैं। जैसे वृक्ष की जड़ को सींचने से संपूर्ण वृक्ष पुष्ट हो जाता है, वैसे ही श्रीकृष्ण को यज्ञ और भक्ति अर्पित करने से
सभी पीढ़ियाँ पवित्र और लाभान्वित होती हैं।
भारत उत्कर्ष महायज्ञ का आयोजन समस्त सनातन धर्मावलम्बियों समेत पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से किया जा रहा है
भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें यज्ञेश्वर भी कहा जाता है, भक्तों द्वारा महायज्ञ में की गई सच्ची
आहुति को स्वीकार करते हैं और उन्हें शांति, समृद्धि तथा आध्यात्मिक बल का वरदान देते हैं।
जब कोई भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ महायज्ञ में सहभागी होता है, तो उसके पितरों का सम्मान होता है
परिवार सुरक्षित होता है और सम्पूर्ण समाज को दिव्य उत्थान प्राप्त होता है।
भारत उत्कर्ष महायज्ञ आपके लिए एक दिव्य अवसर है, जहाँ आपकी सहभागिता पूरे भारत वर्ष की उन्नति का कारक बनते हुए आपके व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तनकारी सेवा का रूप ले सकती है
आइये ब्रह्मलीन परम तपस्वी पूज्य महर्षि महेश योगी जी की प्रेरणा से आयोजित भारत उत्कर्ष महायज्ञ में अपनी आहुतियाँ अर्पित कर अपने जीवन को सफल बनाते हुए, राष्ट्र के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करें।
जो पितरों के सम्मान, समाज के कल्याण और राष्ट्र के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है।